टाटा ने 68 सालों के बाद फिर से हासिल किया एयर इंडिया

68 सालों के बाद टाटा ने फिर से संभाली एयर इंडिया की कमान-:

एयर इंडिया की कमान संभालने के लिए टाटा संस ने 18 हजार करोड़  की बोली लगाई। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट ( DIPAM) के सचिव तुहिनकांतपाण्डे ने कहा कि टाटा संस की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाकर एयर इंडिया को पुनः हासिल कर लिया।                                                   इस खबर का इन्तजार लोग लगभग 10 सालों से कर रहे थे। हालांकि सरकार प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दे रही है जिससे लोग निराश हैं , लेकिन इस खबर को सुनकर लोग बहुत सकारात्मक विचार प्रस्तुत कर रहे हैं लोगों का कहना है कि चलो अच्छा हुआ कि ये सही हाथों में चला गया।     

  हवाई जहाज की श्रेणी में जब भी बात आती है भारत के द्वारा किए गए कीर्तिमानों की तो सबसे ऊपर नाम आता है एयर इंडिया का , जिसने भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में ये लोहा मनवाया था, कि इंडिया की अपनी एक ऐसी एयर लाइन है जो अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरा करती है। देश की आजादी से भी पूर्व यह एयर लाइन उपस्थित हुआ करती थी। DIPAM के सचिव तुहिन कांत पाण्डे ने बताया कि पूरी तरह से लेन- देन दिसंबर 2021 तक पूरी होने की उम्मीद है।

सरकार ने क्यों बेचा एयर इंडिया-:

सरकारी एयर लाइन ,एयर इंडिया के ऊपर लगभग 60 हजार करोड़ से भी ऊपर का कर्ज़ है।भारत सरकार ने घाटे से उबरने के लिए बहुत बार निवेशकों को आमंत्रित किया जिससे वे पैसा लगाए और घाटे से उबारने में मदद करें।लेकिन भारत सरकार हर साल धीरे-धीरे घाटे में डूबती जा रही थी ऐसी स्थिति में एक ऐसा ही विकल्प बचा था की भारत सरकार इसे बेच दे।  आखिर वो दिन आ ही गया जब टाटा संस ने इसे 18 हजार करोड़ की कीमत चुका कर अपने नाम कर लिया।   

                                                                                एयर इंडिया को खरीदने के लिए दो लोगों ने दिलचस्पी दिखाई।जिसमे 18 हजार करोड़ रुपए देकर टाटा ने खरीद लिया,तथा दूसरी तरफ स्पाइसजेट के मालिक मिस्टर अजय सिंह ने 15 हजार करोड़ की बोली लगाई।       
      
एयर इंडिया की स्थापना-: करीब 68 साल बाद एयर इंडिया पुनः अपने मालिक के पास चली गई ।एयर इंडिया की स्थापना JRD टाटा ने 1932 में की थी। JRD TATA भारत के पहले पायलट थे । इन्हे 10 फरवरी 1929 को पायलट का लाइसेंस मिला।JRD टाटा ने भारत के लिए पहला फ्लाइट 15 अक्टूबर 1932 को उड़ाया जो कराची से मुंबई के लिए रवाना हुई।एयर इंडिया का पुराना नाम टाटा एयर लाइन था ।1953 में जब इसका राष्ट्रीयकरण हुआ तब इसका नाम पूर्ण रूप से टाटा एयर लाइन से एयर इंडिया कर दिया गया।    कर्ज की वजह से सरकार ने 2017में ही हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की ।लेकिन इस बारी 75%हिस्सा बेचना चाहती थी लेकिन ये संभव नही हुआ। अन्ततः सरकार को इसे पूर्ण रूप से बेचना पड़ा।
  टाटा एयर लाइन का एयर इंडिया में राष्ट्रीयकरण-: सन् 1932 में टाटा एयर लाइन काम करना शुरू कर चुकी थी।टाटा एयरलाइन्स का कारोबार दुनिया भर में बढ़ रहा था लेकिन दूसरी तरफ द्वितीय विश्व युद्ध का बिगुल बज चुका था।1939-1944 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया जिससे पूरी दुनिया का एविएशन सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ जिससे टाटा एयर लाइन घाटे में जाना शुरू हो गई। इस स्थिति में 1946 में टाटा एयर लाइन्स का नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया, क्योंकि देश की आजादी के बाद देश को भी कोई अपनी एक एयरलाइन्स चाहिए थी इस स्थिति में भारत के योजना आयोग ने प्रस्तावित किया कि घाटे में चल रही कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।भारत ने एक कानून AIR CORPORATION ACT,1953 पारित किया। इस एक्ट के अंर्तगत भारत की सभी विमान सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया गया।
कर्ज का वहन कौन करेगा?-: टाटा संस ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाकर इस कंपनी को खरीदा जोकि करीब 60 हजार करोड़  के घाटे में चल रही थी। सरकार को टाटा द्वारा 18 हजार करोड़ दिया गया तथा बाकी के कर्ज को सरकार खुद वहन करेगी।
रतन टाटा ने किया एयर इंडिया का स्वागत-: एयर इंडिया की कमान हाथों में लेते ही टाटा ने ट्वीट करके किया स्वागत।                   

     उन्होंने       ट्वीट में लिखा
वेलकम बैक, एयर इंडिया।


टाटा की अन्य एयर लाइन्स-: एयर इंडिया के साथ-साथ टाटा के पास इसके अलावा दो और एयरलाइन्स मौजूद हैं- एयर एशिया और विस्तारा।                                                               विस्तारा एयर लाइन में 51% टाटा का ही शेयर है तथा 49% सिंगापुर का है  तथा एयर एशिया में लगभग  82%-83% टाटा का शेयर है। इंडियन एयरलाइन  तथा एयर इंडियन एक्सप्रेस सभी एयर इंडिया के नाम से जानी जाती हैं।                     

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