खुशखबरी -: आ गया मलेरिया का वैक्सीन

विश्व की पहली मलेरिया वैक्सीन W.H.O. द्वारा प्रमाणित -: यह मानव जीवन के लिए ऐतिहासिक क्षण है,मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसके द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों की मृत्यु होती है।विश्व की खतरनाक बीमारियों में से एक बीमारी मलेरिया भी है जिसका टीका बच्चों को लगाया जाना शुरू कर दिया गया है।

                                इस टीके का परीक्षण सर्वप्रथम अफ्रीका देश मलावी में हुआ जिसके बाद इसे WHO द्वारा प्रमाणित किया गया । इस टीके का नाम RTS,S/AS01 (ट्रेड नाम - mosquirix) रखा गया। जिसे GSK(GlaxoSmithKlin


e) द्वारा विकसित किया गया है। इस टीके को 5 महीने से 2साल तक के बच्चों को लगाया जाएगा। विश्व भर में मलेरिया से एक साल में लगभग 4,35,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है, इस रोग की वजह से अफ्रीका में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।


                    इस टीके के द्वारा मलेरिया को 30%-40% तक प्रभावी रूप से रोका जा सकता है।मलेरिया के सबसे ज्यादा शिकार 5 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं और इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद उन बच्चों की मौत होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

क्या भारत को भी मिलेगा RTS,S वैक्सीन-:  भारत में पिछले दर्ज मामलों में तथा 2017 में दर्ज मामलों में 24% की कमी हुई है।भारत में 'टेस्ट-ट्रीट-ट्रैक ' (जांच करो, इलाज करो,नजर रखो) के द्वारा इस बीमारी को कम किया गया है इस रोग के रोकथाम के लिए भारत में मुफ्त में मच्छरदानी भी बांटी गई। इस वैक्सीन का भारत में आने की संभावना बहुत कम है। विश्व में सबसे ज्यादा मलेरिया इन्फेक्शन के मामले अफ्रीका में ही आते हैं।

विश्व मलेरिया दिवस - 25अप्रैल 

मलेरिया होने के कारण-:मलेरिया मच्छरों के कटने से होता है।जिन मच्छरों के अंदर प्लास्मोडियम पैरासाइट हुआ होता है उन मच्छरों के कटने से ही मलेरिया होता है, प्लास्मोडियम पैरासाइट एककोशिकीय जीव है। मनुष्यों में बीमारी पैरासाइट की पांच प्रजातियों द्वारा होता है- प्लेमोडियम मलेरी, प्लास्मोडियम वाइवेक्स, प्लास्मोडियम ओवेल,प्लास्मोडियम नोलेल्सी और प्लास्मोडियम फालसीफेरम। मनुष्यों के लिए सबसे घातक प्लास्मोडियम फालसीफेरम होता है।

                        मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां होती हैं, जिनमें से मादा एनोफिलिस मच्छरों के काटने से प्लास्मोडियम पैरासाइट हमारे रक्त में प्रवेश कर जाता है और ये हमारे लीवर तक पहुंच जाता है, वहां पहुंचने के बाद इनका ग्रोथ होता है। ये रक्त में प्रवेश करने के बाद RBC को तोड़ते हैं जिससे रक्त की कमी हो जाती है।


मलेरिया के लक्षण-:इसका लक्षण 10- 12 दिन बाद पता चल जाता है।                                                                • ठंड लगना, बुखार होना, शरीर में दर्द होना, पेट में दर्द, सिर में दर्द आदि लक्षण हो सकते हैं।                                     अगर मलेरिया मनुष्य के ऊपर बहुत ज्यादा प्रभावी हो जाता है तो मनुष्य को मिर्गी आने लगता है तथा मनुष्य कोमा में भी जा सकता है।














मलेरिया का परिक्षण-:मलेरिया की जांच के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं ,जिनमें से कुछ ये भी हैं---रैपिड एंटीजन टेस्ट।                                                 ब्लड टेस्ट।                                                            पीसीआर (पॉलिमरेज चेन रिएक्शन)आदि टेस्ट हो सकते हैं।













मलेरिया के उपचार-:मलेरिया के उपचार के लिए कई प्रकार की दवाईयां विकसित की जा रही हैं, हम मलेरिया के उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स तथा एंटीमलेरियल ड्रग्स का उपयोग किया जाता है।जिनमें से कुछ प्रमुख हैं- क्लोरोक्विन,  पिमराक्विन, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन,  आर्टमेथर,  आर्टेमिनिया,  डॉक्सीसाइकिलिन,  सल्फाडॉक्सिन आदि दवाएं मरीजों को दी जाती हैं।
मलेरिया से बचाव-: हमें अपने घरों के आस- पास  पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए, छत पर, टंकी के अगल-बगल पानी को इकट्ठा न होने दें।नाली हमेशा ढके रहना चाहिए , गंदगी न होने दीजिए ,साफ- सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए क्योंकि जो एनोफिलिस मच्छर होते हैं ये वहीं रिप्रोड्यूस करते हैं      जिससे मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है और मलेरिया होने का खतरा बढ़ जाता है ।                                                             











                            बाज़ार में बहुत सारे Antimosquito replants lotion आते हैं जिसे हम अपने शरीर पर लगाकर इन मच्छरों से बचाव कर सकते हैं।                                                                                  हमें खासकर मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।

मलेरिया द्वारा प्रभावित अंग-:मलेरिया का जो पैरासाइट होता है वह किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। सबसे पहले यह लीवर को प्रभावित करता है। यह RBC को भी प्रभावित करता है जिसकी वजह से RBC टूटती और खून की कमी हो जाती है।  यह दिमाग तथा फेफड़ों को भी प्रभावित करता है।









विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020-: पिछले कुछ वर्षों मलेरिया के मामलों में काफी कमी देखने को मिलता है।   भारत विश्व के 11 सर्वाधिक मामलों वाले देशों में से एक है ।  भारत में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले आदिवासी या संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है,  जिनमें से मध्य प्रदेश, ओडिशा , छत्तीसगढ़,  झारखंड , राजस्थान तथा महाराष्ट्र के ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्र अधिक प्रभावित हैं।

WHO द्वारा मलेरिया- मुक्त घोषित प्रमुख देश-:  

•2007-UAE
•2010-मोरक्को और तुर्कमेनिस्तान
•2011-आर्मेनिया
•2016-श्रीलंका और किर्गिस्तान
•2018-पराग्वे और उजवेकिस्तान
•2019-अल्जीरिया और अर्जेंटीना 
•2021-एल- साल्वाडोर


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