भारत में क्यों बढ़ रहे हैं खाद्य तेलों के दाम और क्या है उनका उपाय-:


 भारत के लोग पेट्रोल और डीजल के दामों से तो परेशान थे ही, कि बीच में खाद्य तेलों(Edible oil)  के दामों ने लोगों की जेबें ढीली कर दी हैं।पिछले सालों के मुताबिक इस साल खाद्य तेलों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखने को मिला है तथा ये कीमत 60%  से ज्यादा उछल चुकी हैं।तेलों के दामों ने पिछले 11 सालों  का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।


खाने के तेलों में कितनी हुई बढ़ोत्तरी-: केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक देश में खाद्य तेलों की कीमतों में लगभग 20% - 55%  तक की बढ़ोत्तरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक मूंगफली का तेल करीब 20.1% , सरसों का तेल 50%, वनस्पति तेल 46% , सोयाबीन तेल 52% ,सूरजमुखी का तेल 56% तथा पाम ऑयल में 54% की बढ़ोत्तरी हुई है।

देश में कितनी है खाद्य तेल की खपत -:देश में प्रतिव्यक्ति आय न बढ़कर केवल मंहगाई बढ़ती जा रही है। मंहगाई का सीधा प्रमाण हम देख ही रहे हैं कि खाने का तेल आसमान छू रहा है।                  लोगों ने अपना रहन- सहन तथा खान- पान भी बदल लिया है आजकल लोग खाद्य तेलों का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं।                                                            • एक आंकड़े के मुताबिक1993-1994 और 2004-2005 के बीच खाद्य तेलों की मासिक प्रति व्यक्ति खपत ग्रामीण क्षेत्रों में 0.37 किलोग्राम से बढ़कर 0.48 किलोग्राम  और शहरी क्षेत्रों में 0.56 से बढ़कर 0.66 किलोग्राम  हो गई है।                                                   • 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में यह बढ़कर 0.67 किलोग्राम और शहरी क्षेत्रों में 0.85 किलोग्राम  प्रति व्यक्ति प्रति माह हो गई।

देश में तेल का घरेलू उत्पादन तथा कितना तेल होता है तेल का आयात (Import)-: कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2015-2016 से 2019-2020के बीच खाद्य तेल की मांग 23.48 मिलियन टन से बढ़कर 25.92 मिलियन टन हो गई तथा इस दौरान घरेलू उत्पादन 8.63 मिलियन टन से 10.65 मिलियन टन के बीच रही। पिछले सालों में सरसों,और मूंगफली के प्राथमिक स्रोतों और नारियल, राइस ब्रेन, पाम ऑयल जैसे दूसरे स्रोतों को मिलाकर कुल उत्पादन 10.65 मिलियन टन रही जबकि इसी दौरान देश में तेल की कुल मांग 24 मिलियन टन रही। हमारे उत्पादन तथा मांग के बीच करीब 13.50 मिलियन टन  का अंतर है।2019-20 में भारत ने लगभग 61550 करोड़ में 13.35 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया है जो की देश की कुल मांग का 56% है। इसमें से सोयाबीन (3.5मिलियन टन) , सूरजमुखी (2.5 मिलियन टन) और ताड़ (7 मिलियन टन) तेल शामिल थे।                                            अर्जेंटीना और ब्राजील से सोयाबीन तेल ,यूक्रेन और अर्जेंटीना से सूरजमुखी का तेल तथा इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल का आयात होता है।                                                                                  भारत सबसे ज्यादा खाद्य तेलों को मांगने वाला विश्व का पहला देश बन गया।

खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के कारण-: अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर तेलों के दाम बढ़ाए जाने की वजह से ही भारत में भी तेलों के दाम बढ़े हैं। क्योंकि हमें करीब 24 मिलियन टन तेलों की आवश्यकता है जबकि भारत में 8.63 - 10.65 मिलियन टन का ही उत्पादन होता है जिससे हमें अन्य देशों से तेल का एयर करना पड़ता है।


अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के कारण-:सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(SEAI) के निदेशक बी. वी. मेहता ने बताया कि इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि लोग वेजिटेबल ऑयल को बायो fuel में कन्वर्ट कर रहे हैं। जिन देशाे में खाद्य तेल अधिक मात्रा में उत्पादित हो रहे हैं वे देश अब उसी खाद्य तेल को फ्यूल ऑयल में बदल रहे हैं। अमेरिका, ब्राजील और अन्य देश सोयाबीन के तेल को रेन्युबल फ्यूल बनाने में लगे हैं।                                                       तेल के दाम बढ़ने के दूसरे भी कारण हैं-.                                                                पूरी दुनिया में पाम ऑयल के निर्माण का करीब 85% इंडोनेशिया और मलेशिया में होता है , लेकिन कोरोना की वजह से जो मजदूर दूसरे देश से काम करने आए थे वे अपने घर चले गए तथा पाम ऑयल की खेती पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा।                                                                                 भारत में काफी मात्रा में सोयाबीन का उत्पादन होता है।लेकिन ब्राजील सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन मौसम खराब होने की वजह से फसलों को बहुत नुकसान हुआ।   


       पूरे विश्व का लगभग 50% सनफ्लावर ऑयल का उत्पादन यूक्रेन और रूस करते हैं, लेकिन इन देशों में सूखा पड़ने की वजह से फसलों को नुकसान हुआ तथा तेलों के दामों पर बुरा असर पड़ा।     


                                               भारत में सरसों का उत्पादन काफी मात्रा में होता है लेकिन कृषि मंत्री का कहना है की उन्होंने सरसों के तेल में होने वाली मिलावट को रोकने के लिए सिकंजा कसा है जिससे तेलों के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है।                                                                           चीन ने अपने यहां भरी मात्रा में खाने के तेल का आयात कर रहा है जिससे खाद्य तेलों की मांग बढ़ी है और दामों में वृद्धि हुई है।

तेल के दाम को कम करने के उपाय-: कारोबारियों की संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(SEAI) का कहना है कि खरीफ सीजन की बुवाई होते ही सरकार को इंपोर्ट ड्यूटी घटा देनी चाहिए। अगर सरकार टैक्स घटाती है तो तेल के दाम तेजी से घट जायेंगे  , लेकिन कई लोगों का मानना है कि यह सही कदम नहीं है इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से विदेशी कंपनियों को फायदा होगा और हमारे किसानों पर इसका विपरीत असर होगा।


खाद्य तेलों के दाम कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम-:भारत में खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।भारत सरकार ने खाद्य तेल के उत्पादन बढ़ाने के लिए एक मिशन की शुरुआत की है जिसका नाम National Edible Oil Mission- Oil Palm (NMEO-OP) है। इस मिशन की नींव 9 अगस्त 2021 को रखी।इस मिशन के अंर्तगत भारत सरकार अंडमान निकोबार तथा नॉर्थ  ईस्ट क्षेत्रों में पाम ऑयल के पौधे लगाए जायेंगे। इस मिशन के अंर्तगत सरकार करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। हाल ही में कैबिनेट ने इस मिशन की मंजूरी भी दे दी है।भारत सरकार को खाद्य तेल की बढ़ोत्तरी के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए।  

सरकार द्वारा हाल ही में खाद्य तेलों को लेकर उठाए गए कदम-:केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा कि खाद्य तेलों पर जो आयात शुल्क घटा है उसका फायदा उपभोक्ताओं तक पंहुचाया जाए। 8 प्रमुख खाद्य तेल उत्पादक राज्यों को पत्र लिखा गया है- महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश हैं।                                                       सरकार का मानना है कि आयात शुल्क घटाने से खाद्य तेलों के दामों में 15 - 20 रुपए प्रति किलो की गिरावट हो सकती है। बुधवार को वाणिज्य मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म करने की बात कही जो कि गुरुवार से लागू हुआ तथा 31 मार्च 2022 तक आयात शुल्क खत्म कर दिया गया है।                    


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